29 अक्तू॰ 2009

कुलपति कार्यालय के सामने दिया धरना

- कार्यपरिषद सदस्यों को दिया प्रतिवेदन


विश्वविद्यालय कार्यकारिणी परिषद की आज हुई बैठक में पत्रकारिता विभाग की समस्या पूर्व घोषित एजेंडा में शामिल न होने के कारण विभाग के छात्रों ने कड़ा रूख अपनाते हुए कुलपति कार्यालय के सामने बैठकर धरना दिया। इस दौरान छात्रों ने कार्यपरिषद की बैठक में आने वाले सदस्यों को अपना पक्ष रखते हुए प्रतिवेदन सौंपा और उन सभी से बैठक में विभाग के मुद्दे को उठाने का आग्रह किया। गौरतलब है कि 3 सितम्बर से ही पत्रकारिता विभाग के छात्रों द्वारा अपने विभाग के समानान्तर खोले गये सेल्फ फाइनेंस कोर्स और विश्वविद्यालय में हो रहे शिक्षा के निजीकरण के विरोध में सत्याग्रह चला रहे हैं जिसका आज 57वां दिन था।

हाथो में ‘‘हमारी बाते भी सुनों, हमारे मुद्दे पर भी गौर करो’’ "पत्रकारिता है जनसरोकार, बंद करो इसका व्यापार’’ ‘‘विश्वविद्यालय में शिक्षा का निजीकरण बंद करों’’ ‘‘पत्रकारिेता विभाग के समानान्तर खोले गये सेल्फ फाइनेंस कोर्स बन्द करो’’ ‘पढ़ाई के नाम पर धनउगाही करना बंद करो’’ जैसे नारे लिखी तख्तियां लिये और काले झण्डे-बैनर के साथ सैकड़ों की संख्या में छात्रों ने पूरे विश्वविद्यालय परिसर में घूमकर शांति मार्च किया जो कुलपति कार्यालय के सामने एक धरने में तब्दील हो गया। छात्र कार्यकारिणी परिषद की बैठक समाप्त होने तक धरने पर बैठे रहे।

इस दौरान छात्रों का कहना था कि करीब दो महीने से चल रहे उनके आंदोलन के प्रति विश्वविद्यालय प्रशासन का रवैया अब तक पूरी तरह नकारात्मक ही रहा है लेकिन वे अब भी हताश और निराश नहीं हुए हैं। उनका कहना था कि सच के लिए लड़ना संबिधान और ़ पत्रकारिता का वास्तविक धर्म है, जो हम कर रहे हैं और इसके लिये हमें अगर अपना ये सत्याग्रह दो महीनें ही नही दो साल तक भी चलाना पड़े तो हम पीछे नहीं हटेंगे। इस दौरान आल इंडिया डीएसओ और आइसा के लोग भी उनके शांति मार्च और धरने में हर कदम पर साथ रहे।

समस्त छात्र
पत्रकारिता विभाग
इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद

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