बढ़ते भ्रष्टाचार का कारण शिक्षा का व्यावसायीकरण
इलाहाबाद 2 अक्टूबर 09
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पत्रकरिता विभाग के विद्यार्थियों की तरफ से चलाए जा रहे आंदोलन के समर्थन में आज जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता एवं ‘संेटर फाॅर द स्टडी आॅफ डेवलपिंग सोसायटीज’ की प्रोफेसर मधु किश्वर भी आयीं। उन्होंने कहा कि सेल्फ फाइनेंस कोर्सां के नाम पर संस्थानों में सीधे-सीधे डाका डालने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की हर दीवार भ्रष्टाचार की कहानी खुद ब खुद बयां कर रही है। वे पत्रकारिता विभाग के छात्रों द्वारा आयोजित व्याख्यानों की कड़ी में आज ‘उच्च शिक्षा में संकट’ विषयक व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित थीं।
लोगों को सम्बोधित करते हुए प्रो मधु किश्वर ने कहा कि समाज में लगातार बढ़ते भ्रष्टाचार का एक बड़ा कारण शिक्षा के व्यापारीकरण की ही देन है। स्ववित्तपोषित संस्थाओं का सामाजिक सरोकारों से कोई वास्ता नहींे होता। ऐसे में इन संस्थाओं से पढ़कर निकले लोग समाजहित को ध्यान में न रखकर निजीहित को सर्वाेपरि रखते हैं। ऐसे में ये लोग और ये संस्थाएं समाज के लिए कितनी उपयोगी हैं, इसका निर्धारण समाज को ही करना होगा।
उन्होंने बताया कि जब वे कालेज मंे पढ़ा करती थीं तो उस दौर में किरण बेदी उन लोगों की आदर्श हुआ करती थीं और वे लोग उनके जैसा बनना चाहती थीं लेकिन शिक्षा के बाजारीकरण ने आज की नई पीढी को फैशन और माॅडलिंग की दुनियां में ही समेट दिया है। मिस इंडिया जैसे ब्यूटी कान्टेस्ट में शामिल होना ही उनका मुख्य ध्येय बन गया है। उन्होंने कहा कि गांधी जंयती के दिन छात्रों के इस आंदोलन को देखकर उन्हें यकीन हो गया कि गंाधी सिर्फ किताबों और तस्वीरों में ही कैद नहीं हैं बल्कि लोगों के अन्दर भी जिन्दा है।
इस दौरान जानी-मानी गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता मधु भटनागर और वरिष्ठ समाजसेवी काॅमरेड जियाउल हक ने भी लोगों को विचार व्यक्त किये और आन्दोलन के हर कदम पर साथ देने का भरोसा दिलाया। अपने अध्यक्षीय भाषण में जियाउल हक ने कहा कि जब तक विश्वविद्यालय में हो रहे गोरखधंधें को बेनकाब नहीं किया जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा। स्वागत पूर्व विभागाध्यक्ष सुनील उमराव ने किया।
गौरतलब है कि एक महीने पहले 3 सितम्बर के दिन पत्रकारिता विभाग द्वारा अपने विभाग के समानान्तर शुरु किये गये सेल्फ फाइनेंस कोर्स और शिक्षा के निजीकरण के विरोध में आंदोलन शुरु किया गया था। ठीक एक महीने बाद गांधी जयंती के दिन छात्रों ने एक बार फिर ये संकल्प लिया कि वे महात्मा गांधी के सिद्धातों और मूल्यों पर चलते हुए अपनी मांगों को पूरा होने तक आंदोलन को जारी रखेंगे।
समस्त छात्र
पत्रकारिता विभाग
इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद
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कच्ची दारू या नकली शिक्षा दोनों ही घातक हैं पर धरपकड़ बेचारे कच्ची दारू वालों की ही क्यों होती है?
जवाब देंहटाएंव्यावसायिकता की होड़ में शिक्षा का गिरता स्तर व बढता शोषण चिंता का विषय है,सचमुच.
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