इलाहाबाद 28 अक्तूबर. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवम जनसंचार विभाग की तरफ से शिक्षा के निजीकरण और अपने विभाग के समानान्तर खोले गये स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम के विरोध में चलाया जा रहा आन्दोलन आज 56वें दिन भी जारी रहा। इस क्रम में आज पत्रकारिता विभाग के छात्रांे का एक समूह उपश्रमायुक्त कार्यालय पर विभिन्न श्रमिक महासंघों द्वारा किये जा रहे धरनें में सम्मिलित हुआ और अपना पक्ष रखा। इस दौरान श्रमिक संघ के नेताओं ने छात्रों के इस आन्दोलन को पूरी तरह जायज बताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में स्ववित्तपोषित कोर्सो के नाम पर शिक्षा की दुकानदारी करना पूरी तरह आम आदमी को शिक्षा से दूर करने की साजिश है। जब कानूनन यूजीसी विश्वविद्यालयों को 100 प्रतिशत पोषित करती है और केन्द्रीय विश्वविद्यालयों का इतिहास है कि वो अपने अनुदान का 60से70 प्रतिशत हिस्सा ही खर्च कर पाते है तब इन सेल्फ फाईनेन्स कोर्साें को शुरू करने का क्या मतलब।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कल होने वाली कार्यकारिणी परिषद को देखते हुए छात्रों ने आज कार्यकारिणी परिषद के सदस्यों को अपना प्रतिवेदन भी सौंपा जिससे कि वे कल होने वाली इस बैठक में ये तय कर सकें कि बी,ए, इन मीडिया स्टडीज के कोर्स को पुर्नविचार के लिए ऐकेडमिक काउन्सिल में भेजा जाय। करीब दो महीने से चल रहे पत्रकारिता विभाग के आन्दोलन की यह प्रमुख मांग रही है कि बीए मीडिया स्टडीज कोर्स को, जो ऐकेडमिक काउन्सिल में बिना किसी व्यापक परिचर्चा के पारित कर दिया गया था, और जो अपने दूरगामी प्रभावों के तहत विश्वविद्यालय की शिक्षा की गुणवत्ता तथा विभागोे के कार्यक्षेत्र को भी प्रभावित करता है, को तत्काल बंद किया जाय।
अपने करीब 60 दिन से चलाये जा रहे आन्दोलन केे दौरान दिये गये प्रतिवेदनों और उठाये गये सवालों पर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कोई लिखित जवाब नहीं दिया गया है और क्योंकि ऐकडमिक काउन्सिल में कोई भी वरिष्ठ मीडिया शिक्षाविद मौजूद नहीं है जो कि इस मामले को समझता और समस्याओं का निराकरण करता, इसलिए लगातार विभाग द्वारा ये मांग की जाती रही कि केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के वरिष्ठ मीडिया शिक्षाविदों की एक कमेटी बनायी जाय जो इस बात का निर्धारण करे कि क्या मीडिया स्टडीज और मास कम्युनिकेशन अलग अलग है या एक? इस दौरान छात्रों का कहना था कि विश्वविद्यालय की गौरवशाली परम्परा और स्वर्णिम अतीत पर कोई धब्बा न लगने देने की जिम्मेदारी अब पूरी तरह कार्यकारिणी परिषद के ऊपर ही है। छात्रों ने उम्मीद जताई कि कार्यकारिणी परिषद अपने इस दायित्व को निभा सकेगी।
समस्त छात्र
पत्रकारिता विभाग
इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें