5 अक्तू॰ 2009

पत्रकारिता की 'डिग्री' बेचकर जताया विरोध

- 32 दिन बाद भी जारी है अंादोलन, नहीं टूटा कुलपति का मौन

- लोगों से की फर्जी डिग्री लेने से बचने की अपील


इलाहाबाद!
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के छात्र ने अपनी मांगो को लेकर एक बार फिर से सड़क पर उतरे। रविवार को बीए इन मीडिया स्टडीज की प्रवेश परीक्षा कराए जाने पर छात्रों ने विरोध जताया। छात्रों ने आज प्रतीकात्मक तरीके से विश्वविद्यालय में और कटरा चैराहे तक जुलूस निकालकर फर्जी डिग्री बेचते हुए प्रदर्शन किया। छात्रों ने सवाल उठाया कि जो डिग्री यूजीसी द्वारा मान्य नहीं है और जिस डिग्री पर विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक का हस्ताक्षर न हो, विश्वविद्यालय के अन्तर्गत वो किस अधिकार से बांटी जा रहा है। छात्रों ने इस दौरान पीस जोन के सामने बैठकर भी विरोध जताया।

हांथों में ‘‘विश्वविद्यालय में खुल गयी डिग्री की दुकान’’, ‘‘एक डिग्री लेने पर अचार का डिप्लोमा फ्री’’, ’’पहले आओ, पहले पाओ’’ ‘‘पैसा दो डिग्री लो’’ जैसे नारे लिखीं तख्तियां लिए छात्रों ने विश्वविद्यालय मार्ग और कटरा चैराहे पर लोगो को विश्वविद्यालय में चल रहे फर्जी डिग्री के गोरखधन्धे से अवगत कराया। गौरतलब है कि विष्वविद्यालय में डिग्रियों की दुकान खोलने में मुख्य भूमिका अदा करने वाले कार्यपरिशद के एक सदस्य इससे पहले अचार व मुरब्बे की फैक्ट्ी चलाते थे। बाद में उन्हें किसी ने डिग्रीयों की दुकान खोलने की नेक सलाह दी जिसके बाद वह इस क्षेत्र में हाथ आजमा रहे हैं।
अभियान के दौरान लोगों का कहना था कि आप लोगों का आन्दोलन सही है, और विश्वविद्यालय में चल रहे फर्जीवाड़े का पर्दाफाश होना ही चाहिए। लोगों ने कहा कि छात्रों के इस आन्दोलन में वे पूरी तरह साथ हैं। गौरतलब है कि पत्रकारिता विभाग के छात्र अपने विभाग के समानान्तर शुरू किये गये स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम और शिक्षा के निजीकरण के विरोध में पिछले 32 दिनों से आंदोलनरत हैं। इस सिलसिले में छात्र दिल्ली तक हो आये हैं लेकिन फिर भी विश्वविद्यालय प्रशासन इस बारे में मौन धारण किए हुए है।

‘‘सवाल पूछते रहो’’ अभियान के तहत आज विभाग के छात्र दिलीप केसरवानी ने पूछा है कि पिछले दस सालों में विश्वविद्यालय द्वारा प्रत्येक छात्र से डेलीगेसी शुल्क के रूप में लिए जाने वाले 20 रूपये किस मद में खर्च किये गये हैं, साथ ही उन्होंने यह भी पूछा है कि बिना कार्यकारिणी परिषद से पास हुए वे कौन-कौन से नये कोर्स हैं, जिन्हे कुलपति ने अपने विवेक के आधार पर चलाने की अनुमति दी है।

समस्त छात्र
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग
इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद

1 टिप्पणी:

  1. ये तो स्टूडेंट्स के भविष्य के साथ खिलवाड़ है...इलाहाबाद विश्विविद्यालय की देश में अपनी पहचान है...कम से कम फर्जी के कलंक से इस विस्वविद्यालय को बचना चाहिए...

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