4 अक्तू॰ 2009

परीक्षार्थियों से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने दी परीक्षा !

संगीनों के साये में सम्पन्न हुई बीए इन मीडिया स्टडीज की प्रवेश परीक्षा

छावनी में तब्दील रहा परीक्षा केन्द्र


इलाहाबाद 4 अक्टूबर 09 इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बीए इन मीडिया कोर्स शुरु करने को लेकर पत्रकरिता विभाग के विद्यार्थियों द्वारा एक महीने से जारी विरोध के बावजूद आज विवि प्रशासन ने प्रवेश परीक्षा दंगा नियंत्रण वाहन की तैनाती में सम्पन्न करवाया। बीए- इन मीडिया स्टडीज की प्रवेश परीक्षा करवाने के लिए परीक्षा सेंटर परीक्षार्थियों से ज्यादा पुलिस वाले दिखे। पत्रकारिता विभाग के छात्रों ने इसका कड़ा विरोध किया है।
बीए इन मीडिया कोर्स में 30 सीटों के लिए 70 छात्रों ने आवेदन किया था। वहीं जब पत्रकारिता विभाग में सत्र 2007 में एम ए मास कम्युनिकेशन की प्रवेश परीक्षा में 30 सीटों के लिए 1000 परीक्षार्थी बैठे थे। जिसे पीजीएटी के वर्तमान निदेशक ने प्रेस विज्ञप्ति, अखबारों में भेजकर छपवाया था कि एक सीट पर सबसे ज्यादा परीक्षार्थी मास कम्युनिकेशन विषय में बैठे हैं। इससे साफ हो जाता है कि शिक्षा को महंगा कर देने से षिक्षा केवल समाज के अभिजात्य वर्ग की कठपुतली बनकर रह जायेगी। जब एक सीट के लिए केवल दो छात्र बैठे हों तो आइपीएस सेंटर की विश्वसनियता और गुणवत्ता दोनों पर प्रश्नचिन्ह लगता है।

पत्रकारिता विभाग के छात्र, विभाग के समानान्तर सेल्फ फाइनेंस बीए इन मीडिया स्टडीज के कदम को उच्च शिक्षा में आम छात्रों की पहुंच से दूर करने की कोशिश के साथ-साथ शुद्ध रूप से धनउगाही को बढ़ावा देने की पहल भी मानते है। यह और भी आश्चर्य की बात है कि विश्वविद्यालय को केंद्रीय दर्जा मिल जाने के बाद से तो धन का अम्बार लग गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा पत्रकारिता विभाग की जायज मागों को अनदेखा कर, एक व्यक्ति विशेष और उसके द्वारा संचालित आईपीएस संेटर का साथ देना घोर निन्दा का विषय है। यह और ही हास्यप्रद है कि उस व्यक्ति का पत्रकारिता विषय से कोई सरोकार नहीं है। यहां तक कि बीए- इन मीडिया स्टडीज यूजीसी के मानकों को ताक पर रखकर चलाया जा रहा है। प्रवेश परिक्षा में शामिल कुछ छात्रों ने बताया कि यह कोर्स यूजीसी की वेबसाइट पर नहीं है। फिर भी विश्वविद्यालय में संचालित होने के कारण इस कोर्स मंें प्रवेश लेना चाहते हैं।
पत्रकारिता विभाग के छात्र, शहर के बुद्धजीवियों, शिक्षकों, जनप्रतिनिधियों और छात्रों से पूछना चाहतें हैं कि क्या पैसा ही कोर्स में दाखिला पाने की मेरिट होनी चाहिए। यह भी पूंछा है कि विश्वविद्यालय प्रशासन सेल्फ फाइनेंस कोर्सों में प्रवेश का जो मानक अपना रहा है, उससे हमारे संविधान में उल्लिखित समानता और समाजवादी आदर्शों का क्या उल्लंघन नहीं है। बीए- इन मीडिया स्टडीज की प्रवेश परीक्षा में इतने कम छात्रों का बैठना, यह दर्शाता है कि आम छात्र की आय से यह शिक्षा पूरी तरह बाहर है। गुणवत्ता और वैधता पर अब तो प्रशासन को गंभीरता से सोचना चाहिए। प्रशासन को विश्वविद्यालय की शैक्षिक गरिमा के अनुकूल ही कोर्स और फीस रखनी चाहिए। पत्रकारिता के छात्रों ने विवि प्रशासन से अपील की है कि आन्दोलन को व्यक्तिगत विरोध से अलग हटकर इसे आम छात्रहित और विश्वविद्यालय हित में देखते हुए जल्द से जल्द कदम उठाए।

- समस्त छात्र
पत्रकारिता विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद
9721446201, 9793867715, 9455474188, 9416550280

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